Saturday, 3 September 2011

Dewana

कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है,
मैंतुझसे दूर कैसा हुँ तू मुझसे दूर कैसी है ये मेरा दिल समझता है या तेरा दिल
समझताहै !!! समुँदर पीर का अंदर है लेकिन रो नहीं सकता ये आसुँ प्यार का मोती है
इसको खोनहीं सकता , मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना मगर सुन ले जो मेरा हो नहीं
पाया वोतेरा हो नहीं सकता !!! मुहब्बत एक एहसानों की पावन सी कहानी है कभी कबीरा
दीवाना थाकभी मीरा दीवानी है, यहाँ सब लोग कहते है मेरी आँखों में आसूँ हैं जो तू
समझे तोमोती है जो न समझे तो पानी है !!! भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हँगामा
हमारेदिल में कोई ख्वाब पला बैठा तो हँगामा, अभी तक डूब कर सुनते थे हम किस्सा
मुहब्बतका मैं किस्से को हक़ीक़त में बदल बैठा तो हँगामा

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